“पेगेसस लीक व भारतीय लोकतंत्र” Indian democracy and Pegasus leak.

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  1. पेगेसस लीक व भारतीय लोकतंत्र”
    Indian democracy and Pegasus leak.
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इजरायली साफ्टवेयर पेगेसस की जासूसी रिपोर्ट लीक ने साइबर निगरानी हथियार के वैश्विक दुरुपयोग को उजागर किया है डाटा से पता चलता है कि इसमें मानवाधिकार कार्यकर्ता,पत्रकारों,राजनेताओं व उनके करीबियों, महत्वपूर्ण पदों पर बैठे व्यक्तियों, को लक्षित कर सर्विलांस पर ले रखा था। भारत में इसका भी इस्तेमाल गुप्त तरीको से किया जा रहा था जो निजता व लोकतंत्र के लिए कतई सही नहीं है।यह संविधान की मूल भावना व मूल अधिकारों के विरूद्ध भी है। इन सबका सीधा कनेक्सन बीजेपी सरकार से माना जा रहा है।

पेगेसस क्या है:- पेगेसस एक मैलवेयर है जो गुप्त रूप से लक्षित मोबाइल में प्रवेश कर मोबाइल को अनलॉक कर देता है तथा इसे सुनने वाले उपकरण में बदल देता है वहा से मैसेज,फोटो, ईमेल,को गुप्त रूप से निकाल देता है।इसका इस्तेमाल आतंगवाद व अन्य गंभीर अपराधों से निपटने के लिए किया जाता है जिसकी अनुमति सरकार से एजेंसीज को लेनी पड़ती है

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लेकिन सरकार आजकल अपने निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रही है जो लोकतंत्र के खिलाफ है तथा देश में विरोध करने वालो ,आलोचना करने वालो को,पत्रकारों के खुलाशो को दबाया जा सके इसी मंशा से सरकार निगरानी रख रही है नहीं तो बिना आग लगे धुआ केसे उठ सकता है,लोगों व मीडिया में इसकी खासी चर्चा है।

न्यूज़ पोर्टल द वायर, द गार्जियन,वाशिंगटन पोस्ट,समेत 16 संघटनो के खुलासे के अनुसार फ्रांसीसी संस्था फारबिड स्टोरीज व एमनेस्टी इटरनेशनल ने पेगेसस सॉफ्टवेयर से कथित जासूसी के तथ्य जुटाए है जिसमें भारत में भी महत्वपूर्ण लोगों राहुल गांधी, अशोक लवासा,प्रशांत किशोर, आदि कुछ बड़े नाम भी शामिल थे। भारत में इन लोगो पर नजर कौन रखवा सकता है? आप आसानी से अनुमान लगा सकते हो ।कहीं उनके काले कारनामों की पोल न खुल जाय इस डर से से हो सकता है ऐसा कर रहे हो।

व्हाट्सअप प्रमुख विल कार्टर ने पेगेसस पर रिपोर्ट करने के लिए लिंक टि्वट किया और कहा की ” मानवाधिकार रक्षकों तकनीकी कंपनियों और सरकारों की सुरक्षा बढ़ाने और स्पाइवेयर के दुरुपयोग करने वालो को जवाबदेह ठहराने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।”

भारत सरकार तथा इलेकट्रॉनिक्स और सुचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को खारिज किया है सदन में

देश व नागरिकों के हितों में कार्य करने वाले लोगों को सर्विलांस पे लेना उनकी निजता व लोकतंत्र को खतम करने की साज़िश है आज हम किस दौर ने आ गए सरकार की पोल खोलने व सवाल पूछने वाले पत्रकारों,सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता,विपक्ष के नेताओं,महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों को सर्विलांस पे लेकर सरकार देश में डर का माहौल बना रही जिससे उनके विरूद्ध कोई आवाज नहीं उठा पाए।

भारत में अहम चुनावों जैसे बंगाल चुनाव में ममता बैनर्जी व प्रशांत किशोर के साथ और भी निकट लोगों को सर्विलांस पर के रखा था तथा कर्नाटक चुनाव के बाद सरकार गिरने के समय कुमारस्वामी तथा नजदीकी लोगों के भी निगरानी रखी है थी

  • संसद में जेपीसी जांच की मांग उठी।
  • फ्रांस सरकार ने जांच के आदेश दिए
  • सरकार को आगे रहकर निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए

भारतीय नागरिक होने के तौर पर आप इस घटना को किस तरीके से देखते है ? क्या भारतीय लोकतंत्र समाप्ति की ओर है? क्या सरकार मनमाने पन की  सारी हदें पार कर चुकी है? इन सवालों पर जरा गौर फरमाना नहीं तो कल जब देश बर्बादी की ओर होगा तो आपसे भी सवाल जरूर पूछा जाएगा की उस समय आप कहा थे। आप अपने  विवेक व बौद्धिक आधार का उपयोग कर यह विचार जरूर करे की आपकी भी निजता खतम तो नहीं हो गई! कहीं आपके भी निजी जीवन की निगरानी तो नहीं रखी जा रही वास्तव में ऐसा कब तक चलता रहेगा?

 

संदर्भ:-
1. Stephaine kirchgaessner,Paul Lewis,devid Pegg,sem cutler,nina lakhni And Michael safi (2021):- Report the guardian.com july18,2021

2. Chandrashekhar Srinivasan (2021):- “pagasus report day before parliament session no coincidence”. government (www.ndtv.com) July 20,2021 10.10Am                  3.www.thewaire.com                                4.www.the guardian.com                                         5. www.timesofindia.com               6.www.theprint.in।                                  7.Rajasthan Patrika8.Dainik Bhaskar