जमानतीय एवं अजमानतीय अपराध
दंड प्रक्रिया संहिता 1973, के परिभाषा खंड धारा 2(a) में जमानतीय अपराध एवं अजमानतीय अपराध को परिभाषित किया गया है
Bailable offence (जमानतीय अपराध):-
ऐसे अपराध जिन्हें जमानतीय घोषित किया है ।
(A)प्रथम अनुसूची में या
(B)तत्समय किसी अन्य प्रवृत्त विधि में
*न्यायालय एवं पुलिस दोनों जमानत पर छोड़ सकते है,अगर व्यक्ति जमानत देने को तैयार हैं तो
*प्रतिभूति सहित या रहित हो सकेगी
*जमानत का व्यक्ति को अधिकार ।
*दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 436 में जमानत की अर्जी न्यायालय में लगा सकता है।
Non Bailable offence ( अजमानतीय अपराध):-
ऐसे अपराध जिन्हें अजमानतीय घोषित कर रखा है
(A)प्रथम अनुसूची में या
(B)तत्समय किसी अन्य प्रवृत्त विधि में
*यदि अपराध मृत्यु,आजीवन कारावास,पूर्व दोषसिद्धि ,से संबंधित तो जमानत नहीं
* न्यायालय का विवेकाधिकार
*दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 437 में अर्जी न्यायालय में लगा सकता है।
संज्ञेयअपराध और असंज्ञेयअपराध से आप क्या समझते हैं?
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संज्ञेय एवं असंज्ञेय अपराध
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 2 परिभाषा खंड में संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध को परिभाषित कर रखा है।
धारा:-2(c):-संज्ञेयअपराध(Cognizable offence)
ऐसे अपराध जिन्हें ने संज्ञेयअपराध घोषित किया है –
(A)प्रथम अनुसूची में या
(B) किसी अन्य प्रवृत्त विधि में
* पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकता है
इसमें कठोर प्रवृति के अपराध आते है जैसे हत्या,बलात्कार,मानव वध,इनका प्रयास आदि।
धारा:-2(L):-असंज्ञेयअपराध(non-cognizable offence)
ऐसे अपराध जिन्हें असंज्ञेयअपराध घोषित किया है
(A)प्रथम अनुसूची में या
(B)किसी अन्य प्रवृत्त विधि में
*पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता है।
साधारण प्रवृति के अपराध आते है ।
अगर आपको यह पता करना है कि संज्ञेय अपराध कौन से हैं तो आपको दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC 1973) की अनुसूची 1 देखनी होगी जिसमें हत्या, बलात्कार, दहेज़ हत्या, अपहरण, हत्या का प्रयास करना आदि को संज्ञेय अपराध की सूची में रखा गया है।